Strawberry farming के बारे में पूरी जानकारी
परिचय
Strawberry की खेती कैसे करे.How to do Strawberry farming. Strawberry एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है जो पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। इसका वैज्ञानिक नाम Fragaria × Ananassa है। स्ट्रॉबेरी विटामिन C, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और कई आवश्यक पोषक तत्वों का एक बहुत अच्छा स्रोत है। इसकी खेती से किसानों को अच्छी आय प्राप्त होती है क्योंकि बाजार में इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है।और लाभ भी बहुत अच्छा मिलता है.
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पानी और मिट्टी की जरुरत
Strawberry farming के लिए ठंडा और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त माना जाता है। तापमान 18-22 डिग्री सेल्सियस इसके लिए अच्छा होता है। यह फसल बहुत अधिक गर्मी या ठंड को सहन नहीं कर पाती है। Strawberry farming के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है जिसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। मिट्टी का pH स्तर 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए।इसका ध्यान बहुत जरुरी है रखना अछि पैदावार के लिए.
किस्में का प्रकार
Strawberry farming में कई किस्में हैं, लेकिन भारत में मुख्यतः चार किस्में उगाई जाती हैं, जो की निम्न है;
- कैमरोसा: यह किस्म बड़े आकार के फलों के लिए जानी जाती है।
- शानदार: इस किस्म के फल मध्यम आकार के होते हैं और मिठास में बेहतर होते हैं।
- स्वीट चार्ली: यह जल्दी पकने वाली किस्म है और फल स्वादिष्ट होते हैं।
- चकलेटा: यह किस्म भी जल्दी पकने वाली है और इसके फल बड़े और रसदार होते हैं।
पौध की तैयारी करना
Strawberry farming के लिए पौधे नर्सरी में तैयार किए जाते हैं। बीज या पौधों से नए पौधे तैयार किए जाते हैं। पौधों को तैयार करने के लिए स्वस्थ और रोगमुक्त पौधों का चयन किया जाता है। पौधों को तैयार होने में लगभग 4-6 सप्ताह का समय लगता है।जो की बहुत सावधानी से किया जाता है. Strawberry की खेती कैसे करे.How to do Strawberry farming.
खेत की तैयारी करना
Strawberry farming के लिए खेत की अच्छी तरह से जुताई की जाती है और मिट्टी को भुरभुरी बना दिया जाता है। इसके बाद खेत में 10-12 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर मिलाई जाती है। खेत में 15-20 सेमी ऊँची और 1 मीटर चौड़ी क्यारियाँ बनाई जाती हैं। पौधों को 25-30 सेमी की दूरी पर लगाया जाता है। जिससे फल अच्छे से लग सके.
पौधारोपण करना
Strawberry farming में पौधों का रोपण मानसून के बाद या अक्टूबर-नवंबर के महीने में किया जाता है। पौधों को ध्यानपूर्वक क्यारियों में रोपा जाता है और उनकी जड़ों को मिट्टी से अच्छी तरह से ढक दिया जाता है।
सिंचाई का ध्यान
Strawberry farming में पौधों को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। रोपण के तुरंत बाद सिंचाई करना आवश्यक होता है। इसके बाद, पौधों को 7-10 दिन के अंतराल पर पानी देना चाहिए। फूल आने और फल बनने के समय विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे।
खाद एवं उर्वरक
Strawberry farming में अच्छी उपज के लिए गोबर की खाद के साथ-साथ रासायनिक उर्वरकों का भी प्रयोग किया जाता है। प्रति हेक्टेयर 100-150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60-80 किलोग्राम फॉस्फोरस और 80-100 किलोग्राम पोटाश दिया जाता है। नाइट्रोजन को तीन बार में दिया जाता है, पहली बार रोपण के समय, दूसरी बार फूल आने के समय और तीसरी बार फल बनने के समय।
कीटनाशक दवाई और रोग का रोकथाम
स्ट्रॉबेरी की फसल में विभिन्न प्रकार के कीट और रोग लग सकते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- पाउडरी मिल्ड्यू: यह रोग पौधों के पत्तों पर सफेद चूर्ण जैसा लगता है। इसके नियंत्रण के लिए सल्फर का छिड़काव किया जाता है।
- ग्रे मोल्ड: यह रोग फूलों और फलों पर भूरे रंग का धब्बा बनाता है। इसके लिए कार्बेन्डाजिम का उपयोग किया जाता है।
- एफिड्स: ये छोटे कीट पौधों की पत्तियों का रस चूसते हैं। इनके नियंत्रण के लिए नीम के तेल का छिड़काव किया जाता है।
कटाई और उपज
Strawberry के फल रोपण के 3-4 महीने बाद तैयार हो जाते हैं। फलों की कटाई सुबह के समय की जाती है जब वे पूरी तरह से पक जाते हैं। फलों को सावधानीपूर्वक तोड़कर टोकरी में रखा जाता है। प्रति हेक्टेयर उपज 15-20 टन तक हो सकती है।
मार्किट में बिक्री
Strawberry farming से जो फल निकलते हैं वो अत्यधिक नाजुक होते हैं, इसलिए उन्हें सावधानीपूर्वक पैक किया जाता है। फलों को बाजार में सीधे बेचा जा सकता है या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करके कंपनी को सप्लाई किया जा सकता है। स्ट्रॉबेरी का उपयोग जैम, जूस, आइसक्रीम और अन्य खाने वाली चीज़ो को बनाने में किया जाता है।
प्रॉफिट का अनुमान
Strawberry farming से किसानों को अच्छा आर्थिक लाभ प्राप्त होता है। अगर खेती सही तरीके से की जाए और अच्छे बाजार मूल्य मिले तो यह फसल बहुत ही लाभदायक हो सकती है। प्रति हेक्टेयर कुल लागत और प्राप्ति के बीच अंतर के कारण किसानों को अच्छी आमदनी हो सकती है।
निष्कर्ष
Strawberry farming एक लाभकारी कृषि व्यवसाय है जो किसानों को अच्छी आय प्रदान कर सकता है। इसके लिए उचित जलवायु, मिट्टी, और देखभाल की आवश्यकता होती है। स्ट्रॉबेरी के फलों की बढ़ती मांग और स्वास्थ्य लाभों को देखते हुए इसकी खेती का भविष्य उज्ज्वल है। इसलिए, अगर सही तरीके से खेती की जाए तो यह एक अत्यंत लाभदायक बिज़नेस बन सकता है। बस आपको ौरी म्हणत करनी पड़ेगी।